Thursday, August 3, 2017

शगुन

रौनक ने ऑफिस से आते ही माँ के सामने दो लिफाफे रख दिए और खुशी से चहकते हुए कहा....खुशी दी और रिनी की राखी आ गई
माँ ने लिफाफा खोल कर बहुत गौर से दोनों राखियों को देखा
राखी लिफाफे में रखती हुई बोलीं....खुशी की राखी तो सस्ती सी है.....रिनी की महँगी वाली है
तू ऐसा करना खुशी को पाँच सौ एक रुपये भेज देना और रिनी को इक्यावन सौ एक
बड़े घर में बेटी ब्याही है तो उनके हैसियत के हिसाब से  ही व्यवहार भी करना पड़ेगा
खुशी के लिए तो पाँच सौ भी बहुत है.......माँ अपनी ही धुन में बोलती जा रहीं थीं
उनकी बात सुन रौनक हैसियत और रिश्ते के समीकरण को सुलझाने में उलझ गया
बड़ी बहन की शादी एक साधारण परिवार में हुई थी क्योंकि उनकी शादी के समय रौनक के पिताजी की आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं थी
और जीजाजी एक छोटी सी कंपनी में क्लर्क थे
छोटी बहन के ससुराल वाले जाने-माने व्यवसायी थे.....बहनोई एमबीए करके पारिवारिक व्यवसाय को संभाल रहे थे
शहर के पॉश एरिया में बँगला है......महँगी गाडियाँ और सभी आधुनिक सुख-सुविधाएं उनलोगों को उपलब्ध हैं
आर्थिक स्थिति भले ही आसमान हैं पर दोनों से रौनक का रिश्ता तो एक ही है
दोनों ही एक ही माता-पिता की संतानें हैं.......अमीर घर में ब्याही हो या गरीब घर में पर रौनक तो दोनों का ही भाई है
राखी भेजने में जैसा प्रेम और उत्साह खुशी दी के मन में रहा होगा वैसा ही रिनी के मन में भी होगा तो उपहार या शगुन में भेदभाव क्यों करना.....रौनक समझ नहीं पा रहा था
रिश्ते दिल से बनते हैं पर निभाने के लिए हैसियत देखी जाती है.......ऊँचा पद और मोटा बैंक बैलेंस प्यार एवं भावनाओं पर भारी पड़ता है
मन में उठे विचारों के झंझावात ने रौनक को आज एक नई राह दिखाई
उसने निश्चय किया खुशी दी और रिनी के शगुन में भेदभाव करेगा......माँ के कहे अनुसार रिनी को पाँच हजार एक का शगुन भेजेगा पर दीदी के लिए एक हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी लेगा
अब से हर वर्ष उनकी किसी ऐसी जिम्मेदारी का भार वह स्वयं लेगा जिसकी उनको आवश्यकता तो है पर उसको पूरा करने में असमर्थ हैं
रिनी सम्पन्न है उसको सहायता की आवश्यकता नहीं है पर दीदी को आवश्यकता है
उनदोनों ने तो राखी भेज कर अपना कर्तव्य पूरा किया अब बहन की रक्षा का कर्त्तव्य पूरा करने की बारी उसकी थी............शुरुआत स्वास्थ्य की रक्षा से करेगा

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