Thursday, August 2, 2018

आशा

कठिन पथ में
कंटक और पत्थर तो होता है
पर लक्ष्य की परिणीति
रेशम की नरम कालीन होती है
विपरीत परिस्थिति को निराशा नहीं
कर्म की आंधी हटाती है
आशा के सागर का
कहीं कोई तल नहीं होता है
जैसे सूरज के लिए
सारी धरा समतल होती है
वैसे ही इच्छाशक्ति के सामने
गगन भी नतमस्तक हो कर
प्रयास की किरणों से जगमग हो जाता है

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